Bihar Congress RJD Alliance Key Leaders Oppose Lalu Yadav Rahul Gandhi Krishna Allavaru Kanhaiya Kumar.

कांग्रेस की मीटिंग में कई नेताओं ने लालू यादव के साथ जाने का विरोध किया. इनमें ज्यादातर एमएलसी थे या फिर राज्यसभा सदस्य लेकिन चुने हुए विधायकों में से ज्यादातर विधायकों ने लालू के साथ जाने की इच्छा जताई. इसलिए लालू के साथ गठबंधन को लेकर कांग्रेस हाईकमान ने हामी भर दी है. कांग्रेस हाईकमान चाहता है कि महागठबंधन की सरकार बनने पर कांग्रेस दो डिप्टी सीएम बनाएगी. इनमें से एक कन्हैया कुमार होंगे और दूसरा डिप्टी सीएम मुस्लिम चेहरा होगा.

कांग्रेस बिहार में दबकर राजनीति करने के लिए तैयार नहीं!

कांग्रेस के रणनीतिकारों को लगता है कि बिहार में आक्रामक रणनीति के सहारे ही लालू प्रसाद के साथ गठबंधन किया जाना चाहिए. इसलिए मीटिंग के बाद कांग्रेस सीएम पद को लेकर पत्ते खोलने को तैयार नहीं है. कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने साफ कह दिया है कि घटक दलों के साथ बैठक के बाद ही सीएम फेस पर फैसला लिया जा सकेगा. जाहिर है कांग्रेस सीएम उम्मीदवार के एवज में बार्गेन करना चाह रही है. कांग्रेस दो डिप्टी सीएम पद चाहती है. कांग्रेस मानकर चल रही है कि विधानसभा चुनाव में ज्यादा बड़ा स्टेक आरजेडी का है. इसलिए आरजेडी से हैवी बार्गेन किया जा सकता है, जैसा आरजेडी लोकसभा चुनाव में करती रही है.

कांग्रेस में कन्हैया कुमार पर दांव क्यों खेला जा रहा है?

कन्हैया राहुल गांधी के बेहद करीब हैं. इसलिए कन्हैया युवाओं को साधने में जुट गए हैं. कन्हैया की मौजूदगी बिहार में कमजोर हो चुकी कांग्रेस में जान फूंक सकती है. इसलिए कन्हैया को राहुल गांधी ने बिहार में बड़े चेहरे के तौर पर उतारा है. कन्हैया और कृष्णा अल्लावरू लालू प्रसाद से अब तक बिहार में मिलने नहीं गए हैं. दोनों ने मिलकर डॉ अखिलेश सिंह को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने में बड़ी भूमिका निभाई है. राजेश राम दलित चेहरे के तौर पर आगे किए गए हैं.

जाहिर है दलित और मुस्लिम को साधकर कांग्रेस ओबीसी राजनीति की धार भी मजबूत करने में जुट गई है. कांग्रेस फिलहाल लालू से अलग लड़ने की मंशा नहीं रख रही है लेकिन कांग्रेस का आत्मविश्वास इस बात को लेकर बढ़ा हुआ है कि मुस्लिम समाज अब कांग्रेस की तरफ विश्वास से देख रहा है. जो कांग्रेस के साथ होगा, मुसलमान उसको बेझिझक वोट करने आगे आएंगे.

वहीं, कांग्रेस को अगर सम्मानजनक सीटें नहीं दी गईं तो कांग्रेस उन लोगों को साथ जोड़ सकती है जो लालू और नीतीश के विकल्प के लिए प्रदेश में हाथ-पैर मार रहे हैं. यही वजह है कि कांग्रेस प्रभारी से जब पीके और पप्पू यादव के बारे में पूछा गया तो अल्लावरू ने बीजेपी विरोधी ताकतों के साथ जाने से मना नहीं किया है. मतलब साफ है कि लालू से कांग्रेस की बात नहीं बनेगी तो कांग्रेस पीके और पप्पू यादव को साधकर बिहार के चुनाव में उतर सकती है.

सीएम उम्मीदवार की घोषणा से क्यों बच रही है कांग्रेस?

कांग्रेस मनमाफिक सीट चाहती है और कन्हैया को बड़ी भूमिका में उतारना चाहती है. कन्हैया विधानसभा चुनाव भी लड़ सकते हैं. इसलिए कांग्रेस अभी से तेजस्वी यादव को सीएम बताने से परहेज कर रही है. प्रदेश कांग्रेस के एक नेता के मुताबिक, सरकार बनने पर कन्हैया को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है. वहीं, 17 फीसदी मुसलमानों को साधने के लिए कांग्रेस मुस्लिम चेहरे पर भी दांव खेल सकती है.

जाहिर है इसीलिए डॉ अखिलेश सिंह को हटाकर कांग्रेस राजेश राम को अध्यक्ष बनाया है. जबकि प्रदेश स्तर के फैसले के लिए कृष्णा अल्लावरू और कन्हैया की जोड़ी बड़ी भूमिका में होगी, ये तय माना जा रहा है. राहुल गांधी के करीबी नेता इस बात पर ज्यादा जोर दे रहे हैं कि साल 2029 की तैयारी के लिए कड़े फैसले लेना बेहद जरूरी है. इसलिए घटक दलों से आंख में आंख मिलाकर बात करना ही अंतिम विकल्प रह गया है.

कांग्रेस की मीटिंग में किस नेता ने लालू के साथ जाने का किया विरोध!

कांग्रेस की मीटिंग में ज्यादातर विधायक लालू प्रसाद के साथ गठबंधन के पक्षधर थे. मगर, समीर सिंह, चंदन यादव, कंचन, रंजीत रंजन लालू प्रसाद के साथ जाने को लेकर जोरदार विरोध कर रहे थे. सूत्रों के मुताबिक, इस मीटिंग में डॉ अखिलेश सिंह और मदन मोहन झा चुप्पी साधे रहे, जो प्रदेश के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं. रंजीत रंजन हिमाचल की प्रभारी हैं और पप्पू यादव की पत्नी हैं. पप्पू यादव और लालू परिवार एक दूसरे के विरोधी हैं, ये सर्व विदित है.

मीटिंग के बाद एक नेता ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि पप्पू यादव को लेकर मीटिंग में कोई चर्चा नहीं हुई. हालांकि, पप्पू यादव, कन्हैया और अल्लावरू में एक तरह की अंडरस्टैंडिंग है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है. लालू प्रसाद से कांग्रेस की बात नहीं बनी तो फिर पप्पू कांग्रेस के साथ औपचारिक तौर ओबीसी चेहरे के तौर पर मैदान में उतर सकते हैं.

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